अभिज्ञानशास्त्र 4

असमानता और अत्याचार

लेखक जीवन की असमानताओं और दमनों पर विचार करते हैं, जैसे गरीबों का पीड़ा से जूझना, और यह कैसे धन और शक्ति की प्रेषण से है।

1 तब मैंने वह सब अंधेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अंधेर सहनेवालों के आँसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अंधेर करनेवालों के हाथ में शक्ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था।

अभिज्ञानशास्त्र 4:1 -  तब मैंने वह सब अंधेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अंधेर सहनेवालों के आँसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अंधेर करनेवालों के हाथ में शक्ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था।
अभिज्ञानशास्त्र 4:1 - तब मैंने वह सब अंधेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अंधेर सहनेवालों के आँसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अंधेर करनेवालों के हाथ में शक्ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था।

2इसलिए मैंने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवितों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा;

अभिज्ञानशास्त्र 4:2 - इसलिए मैंने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवितों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा;
अभिज्ञानशास्त्र 4:2 - इसलिए मैंने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवितों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा;

3वरन् उन दोनों से अधिक अच्छा वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न ये बुरे काम देखे जो संसार में होते हैं।

अभिज्ञानशास्त्र 4:3 - वरन् उन दोनों से अधिक अच्छा वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न ये बुरे काम देखे जो संसार में होते हैं।
अभिज्ञानशास्त्र 4:3 - वरन् उन दोनों से अधिक अच्छा वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न ये बुरे काम देखे जो संसार में होते हैं।

4 तब मैंने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है।

5 मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता और अपना माँस खाता है।

6 चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।

अभिज्ञानशास्त्र 4:6 -  चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।
अभिज्ञानशास्त्र 4:6 - चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।

7 फिर मैंने धरती पर यह भी व्यर्थ बात देखी।

8कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तो भी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दुःख भरा काम है।

9 एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है।

अभिज्ञानशास्त्र 4:9 -  एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है।
अभिज्ञानशास्त्र 4:9 - एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है।

10क्योंकि यदि उनमें से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला होकर गिरे और उसका कोई उठानेवाला न हो।

अभिज्ञानशास्त्र 4:10 - क्योंकि यदि उनमें से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला होकर गिरे और उसका कोई उठानेवाला न हो।
अभिज्ञानशास्त्र 4:10 - क्योंकि यदि उनमें से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला होकर गिरे और उसका कोई उठानेवाला न हो।

11फिर यदि दो जन एक संग सोएँ तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला कैसे गर्म हो सकता है?

अभिज्ञानशास्त्र 4:11 - फिर यदि दो जन एक संग सोएँ तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला कैसे गर्म हो सकता है?
अभिज्ञानशास्त्र 4:11 - फिर यदि दो जन एक संग सोएँ तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला कैसे गर्म हो सकता है?

12यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।।

अभिज्ञानशास्त्र 4:12 - यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।।
अभिज्ञानशास्त्र 4:12 - यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।।

13 बुद्धिमान लड़का दरिद्र होने पर भी ऐसे बूढ़े और मूर्ख राजा से अधिक उत्तम है जो फिर सम्मति ग्रहण न करे,

14चाहे वह उसके राज्य में धनहीन उत्‍पन्‍न हुआ या बन्दीगृह से निकलकर राजा हुआ हो।

15मैंने सब जीवितों को जो धरती पर चलते फिरते हैं देखा कि वे उस दूसरे लड़के के संग हो लिये हैं जो उनका स्थान लेने के लिये खड़ा हुआ।

16वे सब लोग अनगिनत थे जिन पर वह प्रधान हुआ था। तो भी भविष्य में होनेवाले लोग उसके कारण आनन्दित न होंगे। निःसन्देह यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है।