श्रृंगार गीत (Shringar Geet) 6

दुल्हन की इच्छा

वरबारा अपनी दुल्हन से पुनर्मिलन की इच्छा व्यक्त करते हैं।

1हे स्त्रियों में परम सुन्दरी,

2मेरा प्रेमी अपनी बारी में अर्थात् बलसान

3मैं अपने प्रेमी की हूँ और मेरा प्रेमी मेरा है,

4हे मेरी प्रिय, तू तिर्सा की समान सुन्दरी है

5अपनी आँखें मेरी ओर से फेर ले,

6तेरे दाँत ऐसी भेड़ों के झुण्ड के समान हैं

7तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे

8वहाँ साठ रानियाँ और अस्सी रखैलियाँ

9परन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल, अद्वितीय है

10यह कौन है जिसकी शोभा भोर के तुल्य है,

11मैं अखरोट की बारी में उत्तर गई,

12मुझे पता भी न था कि मेरी कल्पना ने

13लौट आ, लौट आ, हे शूलेम्मिन,