श्रृंगार गीत (Shringar Geet) 4
दूल्हे की प्रशंसा
विवाहिता की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए वरग्रह अपनी वामिका का महत्व किस तरीके से कहा।
1हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है!
2तेरे दाँत उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान हैं,
3तेरे होंठ लाल रंग की डोरी के समान हैं,
4तेरा गला दाऊद की मीनार के समान है,
5तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्चों के तुल्य हैं,
6जब तक दिन ठण्डा न हो, और छाया लम्बी होते-होते मिट न जाए,
7हे मेरी प्रिय तू सर्वांग सुन्दरी है;
8हे मेरी दुल्हिन, तू मेरे संग लबानोन से,
9हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हिन, तूने मेरा मन मोह लिया है,
10हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हिन, तेरा प्रेम क्या ही मनोहर है!
11हे मेरी दुल्हिन, तेरे होंठों से मधु टपकता है;
12मेरी बहन, मेरी दुल्हिन, किवाड़ लगाई हुई बारी के समान,
13तेरे अंकुर उत्तम फलवाली अनार की बारी के तुल्य हैं,
14जटामांसी और केसर,
15तू बारियों का सोता है,
16हे उत्तर वायु जाग, और हे दक्षिण वायु चली आ!