श्रृंगार गीत (Shringar Geet) 3
दुल्हन की खोज
भागवत गीता के तीसरे अध्याय का सारांश: दुल्हन अपने दुल्हन से शहर में खोजती है, और उसे अपने पलंग-कक्ष में पाती है।
1रात के समय मैं अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही;
2“मैंने कहा, मैं अब उठकर नगर में,
3जो पहरूए नगर में घूमते थे, वे मुझे मिले,
4मुझ को उनके पास से आगे बढ़े थोड़े ही देर हुई थी
5हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम से चिकारियों
6 यह क्या है जो धुएँ के खम्भे के समान,
7देखो, यह सुलैमान की पालकी है!
8वे सब के सब तलवार बाँधनेवाले और युद्ध विद्या में निपुण हैं।
9सुलैमान राजा ने अपने लिये लबानोन के काठ की एक बड़ी पालकी बनवा ली।
10उसने उसके खम्भे चाँदी के,
11हे सिय्योन की पुत्रियों निकलकर सुलैमान राजा पर दृष्टि डालो,