भजन - Bhajan 92
उसकी वफादारी के लिए भगवान का धन्यवाद देना
प्रसंग ९२ की सारांश: प्रसंग ९२ में प्रभु की विश्वासनीयता और भलाई के लिए उसकी प्रशंसा और धन्यवाद का गान है। प्रभु की सभी कृतियों की महिमा करते हुए सलमानी के द्वारा जोय और आभार व्यक्त किया गया है। सलमानी अर्थात उन लोगों की हानि और धर्मी लोगों की विजय को स्विकार करते हुए कहते हैं कि जो आलय में रोटी हुए हैं, वे वृद्धावस्था में भी वहीं पनपेंगे और पर्ण लाएंगे। प्रसंग धर्मिष्ठता और विश्वस्त प्रेम के लिए प्रभु की प्रशंसा करने के एक आवाज के साथ समाप्त होता है।
1यहोवा का धन्यवाद करना भला है,
2प्रातःकाल को तेरी करुणा,
3दस तारवाले बाजे और सारंगी पर,
4क्योंकि, हे यहोवा, तूने मुझ को अपने कामों से आनन्दित किया है;
5हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े है!
6पशु समान मनुष्य इसको नहीं समझता,
7कि दुष्ट जो घास के समान फूलते-फलते हैं,
8परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।
9क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हाँ तेरे शत्रु नाश होंगे;
10परन्तु मेरा सींग तूने जंगली सांड के समान ऊँचा किया है;
11मैं अपने शत्रुओं पर दृष्टि करके,
12धर्मी लोग खजूर के समान फूले फलेंगे,

13वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर,
14वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे,
15जिससे यह प्रगट हो, कि यहोवा सच्चा है;