भजन - Bhajan 68

विजय और स्तुति का गाना

भजन 68 ईश्वर की शक्ति और न्याय का जश्न है। यह ईश्वर से उठकर अपने दुश्मनों को दुर करने की एक पुकार के साथ शुरू होता है, और फिर अपने लोगों के लिए उसकी अतीत में मुक्ति और आशीर्वादों की याद करता है। भजनक ईश्वर की शक्ति और दया की प्रशंसा करते हैं, और घोषित करते हैं कि वह सच्चे राजा है सारे पृथ्वी पर।

1परमेश्‍वर उठे, उसके शत्रु तितर-बितर हों;

2जैसे धुआँ उड़ जाता है, वैसे ही तू उनको उड़ा दे;

3परन्तु धर्मी आनन्दित हों; वे परमेश्‍वर के सामने प्रफुल्लित हों;

4परमेश्‍वर का गीत गाओ, उसके नाम का भजन गाओ;

5परमेश्‍वर अपने पवित्र धाम में,

6परमेश्‍वर अनाथों का घर बसाता है;

7हे परमेश्‍वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे-आगे चलता था,

8तब पृथ्वी काँप उठी,

9हे परमेश्‍वर, तूने बहुतायत की वर्षा की;

10तेरा झुण्ड उसमें बसने लगा;

11प्रभु आज्ञा देता है,

12अपनी-अपनी सेना समेत राजा भागे चले जाते हैं,

13क्या तुम भेड़शालों के बीच लेट जाओगे?

14जब सर्वशक्तिमान ने उसमें राजाओं को तितर-बितर किया,

15बाशान का पहाड़ परमेश्‍वर का पहाड़ है;

16परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो,

17परमेश्‍वर के रथ बीस हजार, वरन् हजारों हजार हैं;

18तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बँधुवाई में ले गया;

19धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है;

20वही हमारे लिये बचानेवाला परमेश्‍वर ठहरा;

21निश्चय परमेश्‍वर अपने शत्रुओं के सिर पर,

22प्रभु ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊँगा,

23कि तू अपने पाँव को लहू में डुबोए,

24हे परमेश्‍वर तेरी शोभा-यात्राएँ देखी गई,

25गानेवाले आगे-आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे-पीछे गए,

26सभाओं में परमेश्‍वर का,

27पहला बिन्यामीन जो सब से छोटा गोत्र है,

28तेरे परमेश्‍वर ने तेरी सामर्थ्य को बनाया है,

29तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं,

30नरकटों में रहनेवाले जंगली पशुओं को,

31मिस्र से अधिकारी आएँगे;

32हे पृथ्वी पर के राज्य-राज्य के लोगों परमेश्‍वर का गीत गाओ;

33जो सबसे ऊँचे सनातन स्वर्ग में सवार होकर चलता है;

34परमेश्‍वर की सामर्थ्य की स्तुति करो,

35हे परमेश्‍वर, तू अपने पवित्रस्थानों में भययोग्य है,