भजन - Bhajan 37
परमेश्वर की राहों में विश्वास।
प्रार्थना संहिता 37 हमें याद दिलाती है कि हमें परमेश्वर की योजना पर विश्वास करना चाहिए और हमारे आस-पास की बदमाशी के बारे में चिंता न करें। लेखक हमें प्रभु में आनंद लेने, अपने रास्ते उसके सामने रखने की प्रोत्साहित करते हैं, और विश्वास करने की प्रेरित करते हैं कि वह हमें हमारे दिल की इच्छाएं पूर्ण करेंगे। प्रार्थना-कर्ता भी ईर्ष्या और दुष्टों की सफलता पर चिंतन करने से चेतावनी देता है, क्योंकि परमेश्वर सबको अंततः न्याय पहुंचाएगा।
1कुकर्मियों के कारण मत कुढ़,
2क्योंकि वे घास के समान झट कट जाएँगे,
3यहोवा पर भरोसा रख,
4यहोवा को अपने सुख का मूल जान,
5अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़;
6और वह तेरा धर्म ज्योति के समान,
7यहोवा के सामने चुपचाप रह,
8क्रोध से परे रह,
9क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएँगे;
10थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं;
11परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे,
12दुष्ट धर्मी के विरुद्ध बुरी युक्ति निकालता है,
13परन्तु प्रभु उस पर हँसेगा,
14दुष्ट लोग तलवार खींचे
15उनकी तलवारों से उन्हीं के हृदय छिदेंगे,
16धर्मी का थोड़ा सा धन दुष्टों के
17क्योंकि दुष्टों की भुजाएँ तो तोड़ी जाएँगी;
18यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है,
19विपत्ति के समय, वे लज्जित न होंगे,
20दुष्ट लोग नाश हो जाएँगे;
21दुष्ट ऋण लेता है,
22क्योंकि जो उससे आशीष पाते हैं
23मनुष्य की गति यहोवा की
24चाहे वह गिरे तो भी पड़ा न रह जाएगा,
25मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे
26वह तो दिन भर अनुग्रह कर-करके ऋण देता है,
27बुराई को छोड़ भलाई कर;
28क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता;
29धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे,
30धर्मी अपने मुँह से बुद्धि की बातें करता,
31उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके
32दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है।
33यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा,
34यहोवा की बाट जोहता रह,
35मैंने दुष्ट को बड़ा पराक्रमी
36परन्तु जब कोई उधर से गया तो
37खरे मनुष्य पर दृष्टि कर
38परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएँगे;
39धर्मियों की मुक्ति यहोवा की
40यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है;