भजन - Bhajan 25

भगवान से मार्गदर्शन की तलाश।

प्रसंग: प्रार्थना चिंतन के लिए है और समर्थन, भगवान के शिक्षाओं और करुणा में विश्वास करते हैं। उन्होंने भगवान से क्षमा और मार्गदर्शन को मांगा है। जो उन्हें सही मार्ग पर ले। योग: प्रार्थना से प्रणयन और भगवान की भलाई पर विश्वास।

1हे यहोवा, मैं अपने मन को तेरी ओर

2हे मेरे परमेश्‍वर, मैंने तुझी पर भरोसा रखा है,

3वरन् जितने तेरी बाट जोहते हैं उनमें से कोई

4हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखा;

5मुझे अपने सत्य पर चला और शिक्षा दे,

6हे यहोवा, अपनी दया और करुणा के कामों को स्मरण कर;

7हे यहोवा, अपनी भलाई के कारण

8यहोवा भला और सीधा है;

9वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा,

10जो यहोवा की वाचा और चितौनियों को मानते हैं,

11हे यहोवा, अपने नाम के निमित्त

12वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है?

13वह कुशल से टिका रहेगा,

14यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं,

15मेरी आँखें सदैव यहोवा पर टकटकी लगाए रहती हैं,

16हे यहोवा, मेरी ओर फिरकर मुझ पर दया कर;

17मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है,

18तू मेरे दुःख और कष्ट पर दृष्टि कर,

19मेरे शत्रुओं को देख कि वे कैसे बढ़ गए हैं,

20मेरे प्राण की रक्षा कर, और मुझे छुड़ा;

21खराई और सिधाई मुझे सुरक्षित रखे,

22हे परमेश्‍वर इस्राएल को उसके सारे संकटों से छुड़ा ले।