भजन - Bhajan 149
प्रशंसा और युद्ध
प्रसंग: प्रार्थना-गान करनेवाला पसलम 149, भगवान के लोगों को सत्तायें गाने और नृत्य करने के लिए प्रोत्साहित करने वाला है। इसमें दुश्मन के विरुद्ध आध्यात्मिक युद्ध के लिए एक आह्वान भी है, इससे सूचित होता है कि प्रभु के लोगों के पास उसकी विजय में भाग लेने का सौभाग्य और जिम्मेदारी दोनों हैं।
1यहोवा की स्तुति करो!
2इस्राएल अपने कर्ता के कारण आनन्दित हो,
3वे नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करें,
4क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है;
5भक्त लोग महिमा के कारण प्रफुल्लित हों;
6उनके कण्ठ से परमेश्वर की प्रशंसा हो,
7कि वे जाति-जाति से पलटा ले सके;
8और उनके राजाओं को जंजीरों से,
9और उनको ठहराया हुआ दण्ड देंगे!