भजन - Bhajan 147
प्रभु की महानता और देखभाल की प्रशंसा।
प्रार्थना 147 भजन की एक सुंदर स्तुति है जो भगवान की सर्वश्रेष्ठता की प्रशंसा करता है। यह भगवान की भलाई, शक्ति और सृष्टि पर नियंत्रण की महिमा का जयघोष करता है, साथ ही उसकी भक्तों के प्रति उसकी दयालु देख भाल की प्रशंसा करता है।
1यहोवा की स्तुति करो!
2यहोवा यरूशलेम को फिर बसा रहा है;
3वह खेदित मनवालों को चंगा करता है,
4वह तारों को गिनता,
5हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है;
6यहोवा नम्र लोगों को सम्भालता है,
7धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ;
8वह आकाश को मेघों से भर देता है,
9वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं,
10न तो वह घोड़े के बल को चाहता है,
11यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है,
12हे यरूशलेम, यहोवा की प्रशंसा कर!
13क्योंकि उसने तेरे फाटकों के खम्भों को दृढ़ किया है;
14वह तेरी सीमा में शान्ति देता है,
15वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा का प्रचार करता है,
16वह ऊन के समान हिम को गिराता है,
17वह बर्फ के टुकड़े गिराता है,
18वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है;
19वह याकूब को अपना वचन,
20किसी और जाति से उसने ऐसा बर्ताव नहीं किया;