भजन - Bhajan 143

मुसीबत के बीच आशा की खोज

भजन 143 भगवान देव के पुकार की एक दिल से की गई प्रार्थना है, जो राजा दाऊद जी जो बड़ी परेशानी और पीड़ा का सामना कर रहे हैं। वह भगवान से मदद और मार्गदर्शन के लिए पुकार करते हैं, अपनी कमजोरी को स्वीकार करते हुए और भगवान की ऊर्जा पर निर्भरता दिखाते हुए। दाऊद जी भगवान की वफादारी और पूर्व रक्षा के कृत्यों पर गौर करते हैं, भगवान की भलाई और अटल प्रेम में विश्वास व्यक्त करते हैं।

1हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन;

2और अपने दास से मुकद्दमा न चला!

3शत्रु तो मेरे प्राण का गाहक हुआ है;

4मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है

5मुझे प्राचीनकाल के दिन स्मरण आते हैं,

6मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हूए हूँ;

7हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले;

8प्रातःकाल को अपनी करुणा की बात मुझे सुना,

9हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले;

10मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा कैसे पूरी करूँ, क्योंकि मेरा परमेश्‍वर तू ही है!

11हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला!

12और करुणा करके मेरे शत्रुओं का सत्यानाश कर,