भजन - Bhajan 139
भगवान की सर्वज्ञता और सर्वव्यापकता
प्रार्थना संहिता 139 व्यक्त करती है कि प्रार्थक भगवान की पूर्ण और घनिष्ठ जानकारी के प्रति आश्चर्य और श्रद्धाभाव रखता है। यह अध्याय विचार करता है कि भगवान ने मानवता को कैसे रचा है, वे सभी उनके विचारों को जानते हैं, और सदैव उनके साथ स्थित हैं।
1हे यहोवा, तूने मुझे जाँच कर जान लिया है।
2तू मेरा उठना और बैठना जानता है;
3मेरे चलने और लेटने की तू भली-भाँति छानबीन करता है,
4हे यहोवा, मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं
5तूने मुझे आगे-पीछे घेर रखा है,
6यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है;
7मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ?
8यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है!
9यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूँ,
10तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुआई करेगा,
11यदि मैं कहूँ कि अंधकार में तो मैं छिप जाऊँगा,
12तो भी अंधकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी;
13तूने मेरे अंदरूनी अंगों को बनाया है;
14मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ।
15जब मैं गुप्त में बनाया जाता,
16तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा;
17मेरे लिये तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं!
18यदि मैं उनको गिनता तो वे रेतकणों से भी अधिक ठहरते।
19हे परमेश्वर निश्चय तू दुष्ट को घात करेगा!
20क्योंकि वे तेरे विरुद्ध बलवा करते और छल के काम करते हैं;
21हे यहोवा, क्या मैं तेरे बैरियों से बैर न रखूँ,
22हाँ, मैं उनसे पूर्ण बैर रखता हूँ;
23हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले!
24और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं,