भजन - Bhajan 138
धन्यवाद और प्रशंसा का एक स्तोत्र
प्रसांग 138 में भजन की रचना भगवान के धैर्य और कृपा के लिए है। भजनकार अपने गहरे प्रशंसा भाव से भगवान की सुरक्षा, प्रार्थना और मार्गदर्शन के लिए अपनी आभार व्यक्त करते हैं, और उन्होंने अपनी पूरी मुश्किलों में भगवान के आने और समर्थन पर विश्वास व्यक्त किया है।
1मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा;
2मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा,
3जिस दिन मैंने पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुन ली,
4हे यहोवा, पृथ्वी के सब राजा तेरा धन्यवाद करेंगे,
5और वे यहोवा की गति के विषय में गाएँगे,
6यद्यपि यहोवा महान है, तो भी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है;
7चाहे मैं संकट के बीच में चलूँ तो भी तू मुझे सुरक्षित रखेगा,
8यहोवा मेरे लिये सब कुछ पूरा करेगा;