भजन - Bhajan 136
भगवान का धन्यवाद दें
भजन 136 भगवान की उसके भक्तों के प्रति उनकी कृपा और उसकी महानता के लिए एक स्तुति है। मुखय कवि भगवान के कई महान कामों का संवर्ण इतिहास को याद करते हैं, जिनमें विश्व की रचना से लेकर इस्राएल की मिस्र से मुक्ति और उनके वादित भूमि पर विजय समेत शामिल हैं। प्रत्येक छंद अंत में यह नारा होता है, "उसका प्रेम सदा बना रहता है।"
1यहोवा का धन्यवाद करो,
2जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो,
3जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो,
4उसको छोड़कर कोई बड़े-बड़े आश्चर्यकर्म नहीं करता,
5उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया,
6उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है,
7उसने बड़ी-बड़ी ज्योतियाँ बनाईं,
8दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया,
9और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया,
10उसने मिस्रियों के पहलौठों को मारा,
11और उनके बीच से इस्राएलियों को निकाला,
12बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाया,
13उसने लाल समुद्र को विभाजित कर दिया,
14और इस्राएल को उसके बीच से पार कर दिया,
15और फ़िरौन को उसकी सेना समेत लाल समुद्र में डाल दिया,
16वह अपनी प्रजा को जंगल में ले चला,
17उसने बड़े-बड़े राजा मारे,
18उसने प्रतापी राजाओं को भी मारा,
19एमोरियों के राजा सीहोन को,
20और बाशान के राजा ओग को घात किया,
21और उनके देश को भाग होने के लिये,
22अपने दास इस्राएलियों के भाग होने के लिये दे दिया,
23उसने हमारी दुर्दशा में हमारी सुधि ली,
24और हमको द्रोहियों से छुड़ाया है,
25वह सब प्राणियों को आहार देता है,
26स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो,