भजन - Bhajan 103
भगवान का आशीर्वाद हो, हे मेरी आत्मा।
प्रसंग 103 सामग्री: प्रसंग 103 भजन का एक सुंदर भजन है, जो हमें भगवान की भलाई और दया की याद दिलाता है। भजनकर्ता हमें समझाता है कि हमें अपनी आत्मा के साथ प्रभु की प्रशंसा करनी चाहिए, उसके कई लाभों को याद रखते हुए, जिनमें क्षमा, उपचार, पुनर्मुक्ति, और दृढ़ प्रेम शामिल है।
120 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह;
2हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह,
3वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता,
4वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है,
5वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है,
6यहोवा सब पिसे हुओं के लिये
7उसने मूसा को अपनी गति,
8यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है
9वह सर्वदा वाद-विवाद करता न रहेगा,
10उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया,
11जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊँचा है,
12उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है,
13जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है,
14क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है;
15मनुष्य की आयु घास के समान होती है,
16जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता,
17परन्तु यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग-युग,
18अर्थात् उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते
19यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है,
20हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो,
21हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके सेवकों,
22हे यहोवा की सारी सृष्टि,