नीतिवचन 9

बुद्धि और मूर्खता की पुकार

सूत्र: सोलोमन बुद्धि की आमंत्रण को जीवन की ओर ले जाते हुए चित्रित करते हैं, जबकि मूर्खता की आवाज विनाश की ओर ले जाती है।

1बुद्धि ने अपना घर बनाया

2उसने भोज के लिए अपने पशु काटे, अपने दाखमधु में मसाला मिलाया

3उसने अपनी सेविकाओं को आमंत्रित करने भेजा है;

4“जो कोई भोला है वह मुड़कर यहीं आए!”

5“आओ, मेरी रोटी खाओ,

6मूर्खों का साथ छोड़ो,

7जो ठट्ठा करनेवाले को शिक्षा देता है, अपमानित होता है,

8ठट्ठा करनेवाले को न डाँट, ऐसा न हो कि वह तुझ से बैर रखे,

9बुद्धिमान को शिक्षा दे, वह अधिक बुद्धिमान होगा;

10यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है,

11मेरे द्वारा तो तेरी आयु बढ़ेगी,

12यदि तू बुद्धिमान है, तो बुद्धि का फल तू ही भोगेगा;

13मूर्खता बक-बक करनेवाली स्त्री के समान है; वह तो निर्बुद्धि है,

14वह अपने घर के द्वार में,

15वह उन लोगों को जो अपने मार्गों पर सीधे-सीधे चलते हैं यह कहकर पुकारती है,

16“जो कोई भोला है, वह मुड़कर यहीं आए;”

17“चोरी का पानी मीठा होता है,

18और वह नहीं जानता है, कि वहाँ मरे हुए पड़े हैं,