नीतिवचन 27
जीवन के लिए ज्ञान
प्रतिकृतियाँ अनिमेष जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए बुद्धिमान सलाह समेती है, जैसे कि मित्रता, वित्त और सेल्फ-कंट्रोल। यह ईमानदारी, विनम्रता, और मेहनत की महत्वता पर जोर देती है, और गर्व और आलस्य की चेतावनी देती है।
1कल के दिन के विषय में डींग मत मार,
2तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना;
3पत्थर तो भारी है और रेत में बोझ है,
4क्रोध की क्रूरता और प्रकोप की बाढ़,
5खुली हुई डाँट गुप्त प्रेम से उत्तम है।
6जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य हैं
7सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है,
8स्थान छोड़कर घूमनेवाला मनुष्य उस चिड़िया के समान है,
9जैसे तेल और सुगन्ध से,
10जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना;
11हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर,
12बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देखकर छिप जाता है;
13जो पराए का उत्तरदायी हो उसका कपड़ा,
14जो भोर को उठकर अपने पड़ोसी को ऊँचे शब्द से आशीर्वाद देता है,
15झड़ी के दिन पानी का लगातार टपकना,
16जो उसको रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दाहिने हाथ से वह तेल पकड़ेगा।
17जैसे लोहा लोहे को चमका देता है,
18जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है,
19जैसे जल में मुख की परछाई मुख को प्रगट करती है,
20जैसे अधोलोक और विनाशलोक,
21जैसे चाँदी के लिये कुठाली और सोने के लिये भट्ठी हैं,
22चाहे तू मूर्ख को अनाज के बीच ओखली में डालकर मूसल से कूटे,
23अपनी भेड़-बकरियों की दशा भली-भाँति मन लगाकर जान ले,
24क्योंकि सम्पत्ति सदा नहीं ठहरती;
25कटी हुई घास उठा ली जाती और नई घास दिखाई देती है
26तब भेड़ों के बच्चे तेरे वस्त्र के लिये होंगे,
27और बकरियों का इतना दूध होगा कि तू अपने घराने समेत पेट भरके पिया करेगा,