नीतिवचन 22
प्रतिदिन जीवन के लिए व्यावहारिक ज्ञान
प्रसंग 22 में कुछ बुद्धिमान और फलदायक जीवन जीने के लिए व्यावहारिक सलाह दी गई है। यह विभिन्न विषयों पर पूर्वदृष्टि, उदारता, मेहनत, ईमानदारी, और दूसरों के प्रति सम्मान जैसे विषयों को शामिल करता है। यह भी मूर्खता के विरुद्ध चेतावनी देता है और अनैतिक व्यवहार के परिणामों से चेतावनी देता है।
1 बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है,
2धनी और निर्धन दोनों में एक समानता है;
3चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है;
4नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन,
5टेढ़े मनुष्य के मार्ग में काँटे और फंदे रहते हैं;
6लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिये,
7धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है,
8जो कुटिलता का बीज बोता है, वह अनर्थ ही काटेगा,
9दया करनेवाले पर आशीष फलती है,
10ठट्ठा करनेवाले को निकाल दे, तब झगड़ा मिट जाएगा,
11जो मन की शुद्धता से प्रीति रखता है,
12यहोवा ज्ञानी पर दृष्टि करके, उसकी रक्षा करता है,
13आलसी कहता है, बाहर तो सिंह होगा!
14व्यभिचारिणी का मुँह गहरा गड्ढा है;
15लड़के के मन में मूर्खता की गाँठ बंधी रहती है,
16जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अंधेर करता है,
17कान लगाकर बुद्धिमानों के वचन सुन,
18यदि तू उसको अपने मन में रखे,
19मैंने आज इसलिए ये बातें तुझको बताई है,
20मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश
21कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्चय करा दूँ,
22कंगाल पर इस कारण अंधेर न करना कि वह कंगाल है,
23क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा,
24क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना,
25कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे,
26जो लोग हाथ पर हाथ मारते हैं,
27यदि तेरे पास भुगतान करने के साधन की कमी हो,
28जो सीमा तेरे पुरखाओं ने बाँधी हो, उस पुरानी सीमा को न बढ़ाना।
29यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो काम-काज में निपुण हो,