विलापग्रंथ 5

दया की विनती

लैमेंटेशन्स के पाँचवें अध्याय का सारांश: लेखक प्रभु से रहम की प्रार्थना करते हैं, वे जेरूसलेम और उसके लोगों की पुनर्स्थापना की मांग करते हैं।

1हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या-क्या बिता है;

2हमारा भाग परदेशियों का हो गया और हमारे घर परायों के हो गए हैं।

3हम अनाथ और पिताहीन हो गए;

4हम मोल लेकर पानी पीते हैं,

5खदेड़नेवाले हमारी गर्दन पर टूट पड़े हैं;

6हम स्वयं मिस्र के अधीन हो गए,

7हमारे पुरखाओं ने पाप किया, और मर मिटे हैं;

8हमारे ऊपर दास अधिकार रखते हैं;

9जंगल में की तलवार के कारण हम अपने प्राण जोखिम में डालकर भोजनवस्तु ले आते हैं।

10भूख की झुलसाने वाली आग के कारण,

11सिय्योन में स्त्रियाँ,

12हाकिम हाथ के बल टाँगें गए हैं;

13जवानों को चक्की चलानी पड़ती है;

14अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाई पड़ता है।

15हमारे मन का हर्ष जाता रहा,

16हमारे सिर पर का मुकुट गिर पड़ा है;

17इस कारण हमारा हृदय निर्बल हो गया है,

18क्योंकि सिय्योन पर्वत उजाड़ पड़ा है;

19परन्तु हे यहोवा, तू तो सदा तक विराजमान रहेगा;

20तूने क्यों हमको सदा के लिये भुला दिया है,

21हे यहोवा, हमको अपनी ओर फेर, तब हम फिर सुधर जाएँगे।

22क्या तूने हमें बिल्कुल त्याग दिया है?