यशायाह 1
इज़राइल की पापनियों और मुक्ति की आशा
इसाया अध्याय 1 में, भविष्यवाणी कर्ता पापी और विद्रोही इस्राएल से बोलते हैं। उन्हें अपनी बुरी आदतों से मुड़कर परमेश्वर की ओर लौटने की सलाह देते हैं। इसाया इस्राएल की धार्मिकता और बलियों की दिखावटपूर्वक सफाई करते हैं, उन्हें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर के प्रति सचाई और न्याय सभी के लिए होता है। उनकी अनुशासनभंगि के बावजूद, परमेश्वर प्रायश्चित और संशोधन की आशा प्रदान करते हैं वहाँ जिन लोगों को पश्चाताप करने और उसकी ओर मोड़ने के लिए।
1 आमोत्स के पुत्र यशायाह का दर्शन, जिसको उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नामक यहूदा के राजाओं के दिनों में पाया।
2हे स्वर्ग सुन, और हे पृथ्वी कान लगा; क्योंकि यहोवा कहता है: “मैंने बाल बच्चों का पालन-पोषण किया,
3बैल तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहचानता है,
4हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है!
5तुम बलवा कर-करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो?
6पाँव से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं,
7तुम्हारा देश उजड़ा पड़ा है, तुम्हारे नगर भस्म हो गए हैं;
8और सिय्योन की बेटी दाख की बारी में की झोपड़ी के समान छोड़ दी गई है,
9यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता,
10हे सदोम के न्यायियों, यहोवा का वचन
11यहोवा यह कहता है, “तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं?
12“तुम जब अपने मुँह मुझे दिखाने के लिये आते हो,
13व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चाँद और विश्रामदिन का मानना,
14तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ;
15जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुख फेर लूँगा;
16अपने को धोकर पवित्र करो:
17भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो;
18यहोवा कहता है, “आओ, हम आपस में वाद-विवाद करें:
19यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो,
20तो इस देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाओगे;
21जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिण हो गई!
22तेरी चाँदी धातु का मैल हो गई, तेरे दाखमधु में पानी मिल गया है।
23तेरे हाकिम हठीले और चोरों से मिले हैं। वे सब के सब घूस खानेवाले और भेंट के लालची हैं।
24इस कारण प्रभु सेनाओं के यहोवा, इस्राएल के शक्तिमान की यह वाणी है:
25मैं तुम पर हाथ बढ़ाकर तुम्हारा धातु का मैल पूरी रीति से भस्म करूँगा
26मैं तुम में पहले के समान न्यायी और आदिकाल के समान मंत्री फिर नियुक्त करूँगा।
27सिय्योन न्याय के द्वारा,
28परन्तु बलवाइयों और पापियों का एक संग नाश होगा,
29क्योंकि जिन बांज वृक्षों से तुम प्रीति रखते थे, उनसे वे लज्जित होंगे,
30क्योंकि तुम पत्ते मुरझाएँ हुए बांज वृक्ष के पत्ते,
31बलवान तो सन और उसका काम चिंगारी बनेगा,